*तुलसीदास रामचरित मानस नही लिखते तो श्रीराम आज स्थापित नही होते : परदेशीराम वर्मा* - fastnewsharpal.com
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*तुलसीदास रामचरित मानस नही लिखते तो श्रीराम आज स्थापित नही होते : परदेशीराम वर्मा*

 *तुलसीदास रामचरित मानस नही लिखते तो श्रीराम आज स्थापित नही होते : परदेशीराम वर्मा*



छत्तीसगढ़ जनवादी संघ गरियाबंद और धमतरी इकाई द्वारा रचना पाठ शिविर का किया गया आयोजन 


राजिम-

 छत्तीसगढ़ जनवादी लेखक संघ गरियाबंद एवम धमतरी इकाई के  संयुक्त तत्वावधान में साहू छात्रावास राजिम में रचनापाठ शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में परदेशी राम वर्मा, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ जनवादी लेखक संघ, वरिष्ठ साहित्यकार उपन्यासकार, पी.सी रथ महासचित्व, विशेष अतिथि जी.एस राणा , डा. सुखनंदन धूर्रे जी बद्रीप्रसाद पारकर, काशीपुरी कुंदन अध्यक्ष गरियाबंद ज़िला उपस्थित रहें मां सरस्वती की वंदना के बाद परिचय के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।



इस अवसर पर परदेशीराम वर्मा छत्तीसगढ़ के प्रेमचंद नें संत पवन दीवान को याद करते हुए कहा दीवान जी लालकिला में कविता सुनाने वाले छत्तीसगढ़ पहले कवि थे दुर्भाग्य की बात है उनकी राजिम में आज भी मूर्ति नही हैं। जुगाड़ू लोगो को बड़े बड़े सम्मान मिलते है तुलसी प्रेमचंद मस्तुरिया को नही साहित्यकार वो होते है  जो सिर्फ सम्मान के भूखे नही होते जमीनी स्तर पर कार्य करते हैं।

डॉ.सुखनंदन जी ने जनवादी लेखक संघ का उद्देश्य बताते हुई कहा यह हिंदी उर्दू गजलकार कहानी लेख चित्रकारों का  बड़ा समूह है जनवादी संघ का उद्देश्य जहां सत्ता फेल है वहां खड़े होना अर्थात अपनी लेखनी के माध्यम से ही गलत के विरुद्ध आवाज बनना और अव्यवस्था को दूर करने लोगो में सकारात्मक विचारधारा उत्पन्न करना है जहां राम के गुणगान हो भजन कीर्तन हो वहां झूम जाइए जो ह्रदय में प्रेम करुणा क्षमा दया भाव भरते है लेकिन एक तरफ ऐसी विचारधारा के लोग भी है जो देश को खंडित कर रहे है जो किसी धर्म विशेष को महत्त्व देते है जनवाद का अर्थ है जनता के हितों के समर्थक होना सिर्फ गाने,छपने,पुरुस्कृत होने के लिए लिखने वाले साहित्यकार नही होते जिनके लेखनी से लोगो के हृदय में परिवर्तन हो सकें जो अपराधी को भी सुधरने के लिए प्रेरित का सकें वहीं असल साहित्यकार हैं।

     पी.सी. रथ ने कहा नए साहित्य सर्जको को जोड़ना हम सभी का प्रयास होना चाहिए। वातावरण में विषाक्त उत्पन्न हो रही उससे बचकर अच्छे रचनाकारो को तैयार करना चाहिए अक्षर ब्रम्ह हैं इसलिए रचनाकारो को उसकी आराधना करनी चाहिए रचनाकार हमेशा पीड़ित के पक्ष में खड़े होते है आज बहुत ही चिंता का विषय है साहित्यकार भी डिजिटल हो रहे हैं जिससे मौलिकता समाप्त हो रही है हैं नई कोपलो को अब उगाना हैं।

साहित्यकारों ने समकालीन विषय परिवारिक पृष्ठ भूमि ट्रैफिक जाम परवरिश का असर लोकतंत्र सभ्यता संस्कार संस्कृति परंपरा  विभिन्न विषयों पर गीत कहानी गजल लेख और कविता  पाठ किए प्रमुख रूप से शिज्जू शकूर, मोहनलाल मानिकपन, दिनेश चौहान कार्यक्रम प्रभारी,मुन्नल्लाल देवदास राष्ट्रपति पुरुस्कृत शिक्षक,जितेंद्र कुमार सुकुमार, सुश्री सरोज कंसारी,भुवन लाल श्रीवास,राधेश्याम सेन बद्रीप्रसाद पारकर अनुरीमा शर्मा,संतोष कुमार शर्मा,हिरललाल साहू,अमोलदास टंडन,वीरेंद्र सरल,तुकाराम कंसारी पत्रकार,प्रह्लाद राघव संतोष सोनकर मंडल,नूतनलाल साहू,रमेश सोनायटी पत्रकार, कल्याणी कंसारी साहित्यकारों ने अपनी  अभिव्यक्ति दी।कार्यक्रम का संचालन नूतन लाल साहू ने किया।

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