फादर्स डे -पितृ दिवस---- पिता आकाश की वो ऊंचाई है- जो अपने बच्चों को नहीं होने देता कभी भी विवश - fastnewsharpal.com
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फादर्स डे -पितृ दिवस---- पिता आकाश की वो ऊंचाई है- जो अपने बच्चों को नहीं होने देता कभी भी विवश

 फादर्स डे -पितृ दिवस---- पिता आकाश की वो ऊंचाई है- जो अपने बच्चों को नहीं होने देता कभी भी विवश



महेंन्द्र ठाकुर/नवापारा राजिम/ रायपुर....

   पूरे देश सहित पूरे विश्व में फादर्स डे अर्थात पितृ दिवस मनाया  गया lफादर्स डे मनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि पिता के योगदान और त्याग को हमेशा दुनिया याद रखे- इसके बारे में कहा जा सकता है- "पिता जमीन होता है- पिता आसमान होता है- एक पिता अपने बच्चों के लिए सारा जहान होता है"l

फादर्स डे के अवसर पर विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के उन परिवारों के मुखिया मतलब पिता जहां पर एक या दो पीढ़ी में बच्चों को आगे बढ़ाने उनके भविष्य को उज्जवल करने में इनका विशेष योगदान रहा और केवल धन कमाने तक सीमित नहीं रहे इन्होंने एक मुकाम भी हासिल किया जिसका रास्ता समाज सेवा जन सेवा से जाता है तो चलिए अब हम उनसे रूबरू होते हैंl









एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक डॉक्टर ही डॉक्टर कार्य ऐसा जन-जन तक बेहद लोकप्रिय..... सर्वप्रथम विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर ने धमतरी एवं अंचल के जाने-माने चिकित्सक दंपति डॉ राहुल सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी डॉक्टर श्रीमती रागिनी सिंह ठाकुर स्त्री रोग विशेषज्ञ जिसमें डॉक्टर राहुल सिंह के पिता डॉक्टर राजेश्वर सिंह ठाकुर धमतरी जिले नहीं अंचल के जाने-माने चिकित्सक थे सबसे बड़ी बात उनकी जन सेवा की भावना जिसमें चिकित्सा जैसे पवित्र कार्य का उच्च मापदंड रखा और कभी भी उन्होंने पैसे को महत्व नहीं दिया इसी तरह से उनके सुपुत्र उन्हीं के बताएमार्ग पर चल रहे हैं दुर्भाग्य बस कोरोना कल में डॉक्टर राहुल के पिता डॉ राजेश्वर सिंह कोरोना ग्रस्त होकर गोलोक वासी हो गए लेकिन डॉक्टर राहुल अपने पिता के बताए मार्ग पर चलते हुए उनकी सीख जिसमें पिता ने सिखाया था गरीबों की सेवा सर्वोपरि है, उस पर अनवरत चल रहे हैं उनकी बहन डॉक्टर रीनी सिंह जो स्वयं गाइनेकोलॉजिस्ट है जिनकी शादी राजस्थान में हुई है वह भी पिता के बताएं मार्गो पर चल रही हैं डॉ राहुल सिंह की माता श्रीमती रंजना ठाकुर ने भी अपने बच्चे बहू और बेटी को जन सेवा का ही पाठ पढ़ाया है इनके बारे में कहा जा सकता है--- '"वही जमीन होता है वही आसमान- होता है एक पिता अपने बच्चों के लिए सारा जहान"।

पहली पीढ़ी से लेकर तीसरी पीढ़ी- जन सेवा के लिए समर्पित... वर्तमान में महासमुंद जिला तब के रायपुर जिला के अत्यंत पिछड़े आदिवासी क्षेत्र का गांव बिराजपाली जहां से एक सशक्त समाजसेवी के रूप में जीवन लाल साव का उदय हुआ जिन्होंने 60 के दशक से लेकर 90 से ऊपर के दशक तक  उस समय बेहद शोषित पीड़ित सर्वहारा समाज के लिए बहुत सारे काम किया और छत्तीसगढ़ की राजनीति के सशक्त हस्ताक्षर भी बने जिसमें महासमुंद नगर पालिका के अध्यक्ष रहे, तब के मध्य प्रदेश में 1983 से 1988 तक मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के 5 साल तक सदस्य, छत्तीसगढ़ के वीर सपूत क्रांतिकारी शहीद वीर नारायण सिंह की गरिमा को सर्वोच्च स्थान दिलाया, विनोबा जी के भूदान आंदोलन के तहत रिकॉर्ड 14203 भूमिहीन लोगों को भूमि का पट्टा दिलाया, लंबे समय तक तेंदूपत्ता समिति के उपाध्यक्ष रहे, आदर्श सामाजिक विवाह के प्रणेता सहित अनेको काम किया एक पिता के रूप में इन्होंने अपने समस्त बच्चों को समाज सेवा के लिए एक प्रकार से समर्पित कर दिया- उस समय छत्तीसगढ़ चिकित्सा के मामले में बेहद पिछड़ा था, जिससे श्री साव ने अपने एक पुत्र धीरेंद्र साव को डॉक्टर बनकर गरीब जनता की सेवा करने के लिए प्रेरित किया पिताश्री के वचनों का पालन करते हुए धीरेंद्र साव 80 के दशक से लेकर आज तक चिकित्सा के क्षेत्र में पूरे छत्तीसगढ़ में जाना पहचाना नाम है बेहद सज्जन- बेहद मिलनसार यह सर्जरी के विशेषज्ञ हैं lरायपुर में तेलीबांधा मेंन रोड में कर्मा हॉस्पिटल के नाम से इनका अस्पताल पूरे छत्तीसगढ़ में फेमस है, यही नहीं इनकी धर्मपत्नी डॉ रजनी साव एमडी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, वहीं दूसरी पीढ़ी में इनकी दो बेटियां डा पारूल साव दिल्ली में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, छोटी बेटी डॉक्टर पीयूषी साव जगदलपुर छत्तीसगढ़ में नेत्र विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं, साव परिवार में तीन पीढ़ी अपने पिता के संस्कार और बताएं मार्ग पर चलकर जनसेवा कर रहे हैं इनके लिए भी पैसा कमाना सेकेंडरी है, जनसेवा मुख्य है अब तो जीवनलाल साव नहीं रहे लेकिन उनके सपने और आदर्श को बेटे डॉक्टर धीरेंद्र साव के साथ तीसरी पीढ़ी आगे बढ़ाने में पूरा योगदान दे रही है सबसे खास बात यह है पूरा परिवार छत्तीसगढ़ की सोंधी माटी से जुड़ा हुआ है ,और अपनी मातृभूमि के गौरव को हर ढंग से आगे बढ़ाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर से डॉक्टर धीरेंद्र साव रूबरू होते हुए कहा -जब हम इलाज करते हैं और पीड़ित के चेहरे में खुशी की दर्द रहित चमक आती है, वही हमारा सबसे बड़ा धन है इनके बारे में कहा जा सकता है-"" महकते घर आंगन की फुलवारी है पिता -बच्चों की और सब की खुशी के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दे वह परोपकारी है पिता""।

पिता की सीख जिंदगी में आत्म सात करते हुए तीन पीढ़ी ने समाज को बहुत कुछ दिया....... छत्तीसगढ़ के जाने-माने समाजसेवी और भाजपा के जाने माने चेहरे में से एक रविंद्र सिंह विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर से फादर्स डे के बारे में बातचीत करते हुए एकदम पुलकित और भाव विभोर हो जाते हैं उनके पिता एक आदर्श शिक्षक स्वर्गीय कुंवर बहादुर सिंह ने हमेशा अध्यापन काल में समाज को एक से बढ़कर एक रत्न दिए ,और साथ में रविंद्र सिंह जी और उनके और भाइयों को सेवा भाव सर्वोपरि रखने का संदेश दिया था और वैसे ही इन सब का पालन पोषण भी कियाl जिसमें से रविंद्र सिंह लंबा संघर्ष करते हुए अपने आप को स्थापित किये, एक इंडस्ट्रियल मेन बने और सबसे ज्यादा चर्चा में कोरोना काल में आए इन्होंने एक दो महीने नहीं लगातार पूरे कोरोना काल  से लेकर आज तक मानव सेवा और मानव धर्म का पालन करने में अपने युवा बेटे और तीसरी पीढ़ी के उजाले दीपक सिंह तथा धर्मपत्नी पूनम सिंह एवं बहु अंजली सिंह के साथ  जोश खरोश और मेहनत के साथ लगे रहते हैं। रविंद्र सिंह को उनके इस महान और पावन योगदान के लिए सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर अनेको अवार्ड और स्मृति चिन्ह प्रदान किये जा चुके हैं ,वहीं पर उनकी बहू अंजलि सिंह भारतीय इतिहास के गौरव रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गावती की याद दिला देती हैं इनका मायका घोर नक्सली क्षेत्र बस्तर में था  जहां पर उनके परिवार के द्वारा नक्सलियों के मनमानी और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाए जाने पर उनके घर में 500 की संख्या में नक्सलियों ने हमला कर दिया लेकिन इस बहादुर बेटी  अंजलि जो आज रविंद्र सिंह जी के यहां बहू है- ने बिना घबराए नक्सलियों से हर ढंग से लोहा लिया और सबसे बड़ी बात पूरे परिवार का सुरक्षा ढाल बनकर अपने घायल भाई को नक्सलियों के भयानक गोलाबारी के बीच में से सुरक्षित निकाल लाई थी जो उससमय स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के अखबारों की जबरदस्त सुर्खियां बनी थी और उनकी बहादुरी पर राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार ,प्रधानमंत्री वीरता पुरस्कार  मुख्यमंत्री वीरता पुरस्कार के साथ अनेको अवार्ड मिले हैं अभी 5 अप्रैल 2024 को छत्तीसगढ़ के जाने-माने न्यूज़ चैनल आईबीसी 24 के द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से भी नवाजा गया है यहां यह कहना लाजमी है---" परिवार की शानदार कहानी का एक किरदार है पिता ---दुनिया जहां से  हर ढंग का रिश्ता निभाने वाला फनकार है पिता"l


पिता का आशीर्वाद एवं सीख हर घड़ी साथ रहती है....... छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर उड़ीसा बॉर्डर से लगा देवभोग ब्लॉक का कस्बा गोहरापदर जहां पर कर्तव्य परायण धर्म परायण दाऊलाल यदु उनकी धर्मपत्नी श्रीमती भोज यदु ब्रिलिएंट बेटी हिमांशी यदु और जूनियर जयदीप यदु रहते हैं इसमें सबसे खास बात यह है दवा व्यवसाय से जुड़े दाऊलाल यदु अपने पिता स्वर्गीय शोभाराम यदु की सीख को गांठ में रखकर चलते हैं जिसमें बताया गया  -जन सेवा करना है चाहे नफा हो या नुकसान काम करो बाकी ईश्वर पर छोड़ना है इसी आदर्श के साथ दाऊलाल यदु अपना व्यवसाय कर रहे हैं जिसमें आधुनिक युग की परंपरा के अनुसार हजारों नहीं लाखों रुपए में दवाएं जरूरतमंद के साथ उधार चाहने वालों को दे देते हैं जिसमें उधार चाहने वाले इन्हें उधार की बहुत हैवी रकम नहीं चुकाई , लेकिन पिता की सीख से बिल्कुल ही अलग नहीं होते जिसकी वजह से परेशानी तो आती है लेकिन उसका हल भी ईश्वर ही करता है यह दंपति गायत्री मिशन से आत्मिक रूप से जुड़ा है यही कारण है इनकी ब्रिलिएंट बेटी हिमांशी यदु इस वर्ष घर में ही पढ़ाई करके हजारों बच्चों के बीच में से नवोदय परीक्षा में गरियाबंद जिले में अच्छी पोजीशन में क्वालीफाई कर गईl दाऊलाल यदु के बारे में बरबस यह पंक्तियां याद आ जाती हैं -""निकाल के जिस्म से वह अपनी जान देता है --बेहद मजबूत होता है एक पिता जो बच्चों के लिए हर घड़ी कुर्बान होता है""lll

ईमानदारी से कठोर परिश्रम करना पिता ने सिखाया- उसी ने आज सफल बनाया...... गरियाबंद जिला मुख्यालय शिक्षक नगर निवासी विद्या भूषण द्विवेदी जो अपने हंसमुख मिलनसार स्वभाव और मेहनत के लिए जाने जाते हैं इन्होंने विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर को बताया उनके जीवन पर पिता स्वर्गीय श्री बृज किशोर द्विवेदी द्वारा हमेशा दी हुई सीख ने उन्हें सामाजिक सेवा के साथ सफल होने का मंत्र दिया ,जिसका सीधा सपाट अर्थ है ईमानदारी से मेहनत करो सफलता अवश्य मिलेगी यही सीख विद्या भूषण द्विवेदी और उनकी धर्मपत्नी अर्चना द्विवेदी अपने बच्चों को देते हैं उसी का परिणाम है इनके बड़े बेटे सर्वेशद्विवेदी जो कक्षा पांचवी में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल गरियाबंद में और नन्ही बेटी ज्ञाना द्विवेदी जो की एंजेल एंग्लो पब्लिक स्कूल गरियाबंद छत्तीसगढ़ में तीसरी की छात्रा है इनकी  बातें सुनेगे तो आप आश्चर्य चकित रह जाएंगे , जब विशेष संवाददाता विद्या भूषण द्विवेदी जी  मिलने गए तो सर्वप्रथम इस छोटी सी बच्ची ज्ञाना द्विवेदी ने गर्मजोशी से स्वागत किया और बातों ही बातों के दौर में कहा- आप गरीबों की सेवा करते हैं तो  कैसे करते हैं यह भी बात बिना प्रसंग के उस नन्ही बच्ची ने कहा सुन के आश्चर्यचकित रह जाना पड़ा फिर उसने कहा ईश्वर को आप अपने आसपास कैसे अनुभव करते हैं और उसका जवाब भी विशेष संवाददाता ने बच्चे से पूछा तो बड़े सहजता और हंसते हुए जवाब दिया- गरीबों की सेवा में  पैसे रुपए के अलावा सबसे बड़ी बात होती है उनको खुशी देना और ईश्वर को हम महसूस कर सकते हैं आराम से घर में बैठकर सच्चे दिल से उनकी प्रार्थना करना मैंने पूछा यह सब जानकारी कौन देता है तो बच्चे ने जवाब दिया मम्मी पापा और दादी से जानकारी मिलती है ऐसे ही संस्कार आज हर माता-पिता को आने वाली पीढ़ी को देना चाहिए इनके बारे में यह कहा जा सकता है-- ""हमें रख दिया छांव में खुद जलते रहे धूप में ---मैंने देखा है ऐसा एक इंसान अपने पिता के रूप में""lll


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