*आखिर कब सुनेगा आवाज़ --- 2621 बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने शीतला माता को चढ़ाई 2621 फीट की चुनरी, समायोजन का माँगा आशीर्वाद, संघर्ष को मिली नई ऊर्जा*
*आखिर कब सुनेगा आवाज़ --- 2621 बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने शीतला माता को चढ़ाई 2621 फीट की चुनरी, समायोजन का माँगा आशीर्वाद, संघर्ष को मिली नई ऊर्जा*
रायपुर
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में रिक्त पदों पर समायोजन और सेवा सुरक्षा की मांग को लेकर विगत 111 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ दुर्गा के चरणों में 2621 फीट लंबी चुनरी अर्पित कर आशीर्वाद माँगा। यह आयोजन न केवल श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक था, बल्कि संघर्ष की सकारात्मक दिशा में बढ़ते कदमों का भी प्रमाण बना।
आज नवरात्रि के षष्ठम दिवस पर शिक्षकों ने अपने आंदोलन को आध्यात्मिक शक्ति के साथ जोड़ते हुए रायपुर स्थित महामाया देवी मंदिर में चुनरी अर्पण की। साथ ही नया बस स्टैंड भाटागांव स्थित माँ शीतला माता मंदिर में पूजा-अर्चना कर समायोजन की सफलता हेतु प्रार्थना की। यह आयोजन न्याय की उम्मीद, हक की पुकार और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प का प्रतीक था। हजारों शिक्षकों की उपस्थिति ने इस संघर्ष को और भी ऊर्जावान बना दिया, जो वर्षों तक शिक्षा देने के बाद अब न्याय की प्रतीक्षा में हैं।
*महिला शिक्षिकाओं ने नवदुर्गा के रूप में किया प्रेरणादायक प्रदर्शन*
नवरात्रि के पंचमी दिवस पर महिला शिक्षिकाओं ने नवदुर्गा के विभिन्न स्वरूपों में प्रदर्शन कर अपने आत्मबल और संकल्प को उजागर किया। यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि समाज में नारी शक्ति और शिक्षा के महत्व को स्थापित करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल थी।
शिक्षिकाओं ने देवी माँ की संध्या आरती का आयोजन कर सरकार से न्याय की गुहार लगाई और विश्वास व्यक्त किया कि शीघ्र ही सकारात्मक निर्णय आएगा।
*"हमारी लड़ाई सिर्फ नौकरी की नहीं, आत्मसम्मान की है" – शिक्षिकाओं की दृढ़ प्रतिज्ञा*
नम्रता वर्मा, शिक्षिका – "नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है, और हर नारी में माँ दुर्गा का अंश होता है। जैसे माँ ने अधर्म के खिलाफ शस्त्र उठाए, वैसे ही हम भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अडिग हैं। हमें विश्वास है कि हमारा संघर्ष सफल होगा।"
गायत्री देवी मिंज, शिक्षिका – "मैंने अपने विद्यार्थियों को घर और स्कूल, दोनों जगह सँभाला। माँ अन्नपूर्णा की तरह पोषण दिया, माँ सरस्वती की तरह ज्ञान दिया, और अब जब न्याय की घड़ी आई है, तो हम माँ काली की तरह अपने हक के लिए खड़े हैं। हमें विश्वास है कि सरकार हमारी मांगों को समझेगी।"
निकिता देशमुख, शिक्षिका – "हम माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर उनकी आराधना करते हैं, लेकिन जब एक शिक्षिका, जो स्वयं नारी शक्ति का प्रतीक है, न्याय की आस में संघर्ष कर रही है, तो उसे अनदेखा क्यों किया जा रहा है? हमें माँ का आशीर्वाद प्राप्त है, और हमें विश्वास है कि सरकार भी हमें न्याय देगी।"
*4 अप्रैल को अंतर्विभागीय समिति की अहम बैठक – सकारात्मक निर्णय की उम्मीद*
3 जनवरी 2025 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की दूसरी बैठक 4 अप्रैल को प्रस्तावित है, जिसमें समायोजन के लिए ठोस निर्णय लिए जाने की संभावना है।
बर्खास्त शिक्षकों ने कहा कि उन्हें माननीय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार पर पूर्ण विश्वास है और आशा है कि समिति का निर्णय उनके पक्ष में होगा।
इस आयोजन को जनता का भी व्यापक समर्थन मिला, जिससे शिक्षकों के संघर्ष को नई ऊर्जा मिली। यह आंदोलन केवल अधिकारों की लड़ाई नहीं, बल्कि शिक्षा और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है।