आरंग-महानदी स्टेशन का न ही विकास हुआ और न ही यात्रियों को मिली कोई सुविधा, क्षेत्र के सांसद-विधायक आखिर क्यों है मौन,बने मोड,लगातार होते दुर्घटना
आरंग-महानदी स्टेशन का न ही विकास हुआ और न ही यात्रियों को मिली कोई सुविधा, क्षेत्र के सांसद-विधायक आखिर क्यों है मौन,बने मोड,लगातार होते दुर्घटना
आरंग
छत्तीसगढ़ में संबलपुर रेल डिवीजन का प्रारंभ आरंग-महानदी रेलवे स्टेशन से होता है। यह आरंग के लिये अभिशाप और दुर्भाग्य दोनों ही बना हुआ है।
डिवीजन का प्रथम आरंग-महानदी स्टेशन का न ही विकास हुआ और न ही यात्रियों को कोई सुविधा मिला है..?
यदि मिला है तो सिर्फ सड़क दुर्घटना..? दिन में कम और रात्रि में अधिक सड़क दुर्घटना हो रहा है..?
छग राजधानी रायपुर से मात्र 35 किमी दूर में ही स्थित आरंग-महानदी रेलवेस्टेशन को संबलपुर डिवीजन में क्यो शामिल किया गया..? यह भी एक पहेली ही है। क्षेत्र के सांसद-विधायक क्यों मौन है..? रेलवे कॉलोनी में रहनेवाले कर्मचारी-अधिकारी व अन्य लोगो के लिए मूल-भूत सुविधा का अभाव है।पानी की पर्याप्त सुविधा नही होने से गर्मी के दिनों में प्रतिवर्ष पेयजल की समस्या से जूझना पड़ता है। यही कारण है कि रेलवे कर्मचारी किराये के मकान में रहते है।
आरंग स्टेशन में दूसरी रेल लाइन का प्रारंभ हो गया है।डबल लाईन प्रारंभ होने से आरंग-महानदी स्टेशन का विकास व यात्रियों को जो सुविधा मिलना होना चाहिए वह नही मिला है।
जल्दबाजी में अनुपयोगी-असुविधा के साथ दुर्घटनावाले रेलवे फाटक बनाया गया है। इस रेलवे फाटक से नवापारा-राजिम मार्ग में प्रतिदिन छोटे-बड़े सड़क दुर्घटना हो रहा है।सड़क दुर्घटना से रेलवे के उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को क्या फर्क पड़ता है..? रेलवे के पास पर्याप्त जमीन होने के बाद भी रेलवे क्रासिंग के चार यू आकार के घुमावदार मार्ग को सुविधानुसार चौड़ा नही बनाया गया है और न ही नियमानुसार गति अवरोधक बनाया गया है और न ही संकेतक लगाया गया है।इस खतरनाक रेलवे फाटक को क्रास कर मेन रोड में पहुचने के लिए यू आकर के चार-चार खतरनाक मोड़ से गुजरना पड़ता है। गुणवत्ताविहीन रेलवे फाटक व सड़क मार्ग का कार्यक्षेत्र नपा आरंग, जनपद पंचायत आरंग में सम्मिलित है। क्षेत्र के विधायक, सांसद व स्थानीय प्रभावशाली कहे जानेवाले नेताओ का ध्यान भी इस ओर नही गया है।
सड़क के किनारे सिचाई विभाग की छोटी नहर-नाली भी है। इस नहर-नाली का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। किसानों के पांच सौ एकड़ खेतों में पानी ले जाने के लिए किसानों को प्रतिवर्ष सड़क में आंदोलन करना पड़ता है। इस दोनों समस्या के निराकरण के लिये रेल्वेफाटक के पास दाएं-बायें पर्याप्त जमीन होने के बाद भी रेल विभाग द्वारा समस्या का निराकरण नही किया जा रहा है।