*पच्चीस साल की बुनियाद का बजट एक धोखा है:- तेजराम विद्रोही*
*पच्चीस साल की बुनियाद का बजट एक धोखा है:- तेजराम विद्रोही*
*एक बार फिर छले गए किसान, नौजवान और आम उपभोक्ता*
राजिम
मंगलवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में केंद्रीय बजट 2022-23 प्रस्तुत की। जैसे कि पहले भी अंदाजा लगया जा चुका था कि सरकार बड़े पूंजीपतियों की हित साधने के ही काम कर रही है तो बजट उनके ही हितों के आसपास रहेगी और उम्मीद से ज्यादा सही साबित हुआ क्योंकि यह बजट बड़े पूंजीपतियों की हितों के आसपास ही नहीं बल्कि उनके ही हितों के लिए लाया गया बजट है। वित्तमंत्री ने इस बजट को 25 साल की बुनियाद का बजट बताया है जो केवल एक कोरी कल्पना और धोखा है।
प्रस्तुत बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि इस बजट में जहां बेरोजगारों के लिए अवसर के रूप में 60 लाख नई नौकरियाँ सृजित करने वाली बजट बताया है जबकि वर्तमान में सभी सार्वजनिक संस्थानों जैसे बैंक, बीमा, रेलवे, हवाई, शिक्षा, स्वस्थ्य जैसे सेवा संस्थाएं जहां पर स्थायी और सुरक्षित नौकरियाँ हुआ करती थी उन्हें निजी-जन-भागीदारी (पीपीपी मॉडल) के आधार पर निजीकरण-ठेकाकरण किया जा रहा है जहाँ स्थायी और सुरक्षित रोजगार की कल्पना करना बेमानी है। सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडिया इकोनॉमी के अनुसार कोरोना काल मे अप्रैल 2021 में करीब एक करोड़ लोगों ने अपना रोजगार खोया है उन्हें फिर से रोजगार कैसे मिले इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए पीपीपी मॉडल पर योजना शुरू करने की बात कही गई है। इस योजना की नाम से ही पता चलता है कि कृषि क्षेत्र को तेजी से कॉरपोरेट लूट के लिए बढ़ावा देना है। इससे आने वाले 25 सालों में न खेती बचेगी और न ही किसान। भारत की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। परंतु कृषि को आधार न मानकर भारतीय अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री गति शक्ति के सात आधार- सड़क, रेल, हवाई अड्डे, बंदरगाह, सार्वजनिक परिवहन, जलमार्ग और मालवहन को आधार माना है कहा गया है कि अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है। सवाल है कि जब अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है तो रिजर्व बैंक के आपातकालीन कोष से रकम निकालने की आवश्यकता क्यों पड़ी? मुनाफा देने वाली सार्वजनिक संस्थानों को निजी हाथों में बेचने की जरूरत क्यों है? लगातार महंगाई क्यों बढ़ रही है? यह आम उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है। 13 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फार्मर्स इनकम कमेटी बनाई थी जिसमे कहा गया था कि मार्च 2022 तक किसानों की आय दोगुने हो जाएंगे। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के अनुसार किसानों की वर्तमान आय 10218 रुपये मासिक है जिसमें खेती से केवल 3798 रुपये कमाई हो रही है। दस साल पहले किसानों को 50 प्रतिशत कमाई खेती से हो रही थी। किसानों की आय बढ़ाने और जोखिम से बचाने के लिए सभी कृषि उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी की गारंटी कानून तथा जोखिम फंड की आवश्यकता के ऊपर केंद्रीय बजट 2022-23 में कुछ भी नहीं कहा गया है जो किसानों के साथ धोखा है।