परमात्मा ही एक ऐसे है जिसे हम अपने जीवन का आदर्श बना सकते हैं ---- ब्रह्माकुमार नारायण भाई
परमात्मा ही एक ऐसे है जिसे हम अपने जीवन का आदर्श बना सकते हैं ---- ब्रह्माकुमार नारायण भाई
राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर में बौद्धिक परिचर्चा में बताए सेवा भाव का महत्व
तेजस्वी /छुरा
सेवा के साथ जब भाव जुड़ जाता तो सेवा करने वाले के दिल में खुशी आती है,हल्कापन आता है,निश्चिंतता आती है ।असली सेवा तो वो है,जिस आत्मा की सेवा करते है तो वो आत्मा संतुष्ट हो जाए उसके दिल से सेवा करने वाले के प्रति आदर भाव स्वत प्रकट होती है ,क्यों की उसने सेवा भाव के साथ सेवा की है। सेवा के साथ महत्व भावना की है। ग्राम पिपरछेड़ी में राष्ट्रीय सेवा योजना की सात दिवसीय विशेष शिविर में माउंट आबू से छत्तीसगढ़ राजिम पहुंचे ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने में बौद्धिक परिचर्चा सेशन में स्वयं सेवको को उक्त बातें कही
उन्होंने आगे बताया कि भाव ऐसा गुलाब का फूल है,जिसकी खुशबू को छुपाए नहीं जा सकते उसी प्रकार सेवा भाव से जब सेवा करते है तो उसकी प्राप्ति भी छुपाए नहीं छुपते।सेवा भाव से जिसकी सेवा करते है तो उसके दिल में आदर भाव स्वत: प्रकट होते है ,लेकिन आज का समय बहुत अलग हो गए है आज के समय में केवल सेवा रह गया है ,भावना खतम हो गया है।इस लिए सेवा से वो खुशी नहीं आती।असली सेवा जिसमे त्याग की भावना हो,अपने प्रति कोई भावना नहीं , औरो के प्रति स्नेह की भावना, औरों के प्रति देने की भावना,सहयोग की भावना, औरों को उमंग उत्साह मिले, औरों के जीवन में खुशी हो , औरों को प्राप्ति का अनुभव हो उसे कहते है सेवा भाव। उन्होंने स्वयं सेवको को कहा कि परमात्मा ही एक ऐसा है जिसे हम अपने जीवन का आदर्श बना सकते हैं क्योंकि वो सत्यम शिवम सुंदरम,निराकार, निरहंकार है इतना निरहंकार की वह सारे विश्व का पिता होते हुए भी जब वह सृष्टि पर आता है तो हुकूमत लेकर नही आता। उसके दिल में सेवा भाव वह है। वह जब इस पुरानी ,पतित,दुनिया में आकर पतित आत्माओं पावन बनाने की सेवा कर पवित्र व सुंदर दैवीय समाज का निर्माण कर निःस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं । वो सेवा भाव खुशी का अनुभव कराते हैं,इस लिए उसका एक नाम सत चित आनंद है, वैसी ही अगर हम भी एक स्थान पर रहते ,हम हाथो से कार्य करते मन,बुद्धि से सदा सारे विश्व प्रति कल्याण की भावना से शुभ संकल्पों का प्रकंपन वायु मंडल में फैलाती रहे तो ऐसे सेवा भाव के संकल्प का बल लोकल लेबल तक सीमित नही रहते बल्कि सूर्य के प्रकाश की भांति संपूर्ण विश्व पर प्रकाश की तरह शुभ संकल्प की सेवा भाव का बल की प्रकंपन्न फैलती है।जिससे मनुष्य आत्मा ही नही ,अपितु सम्पूर्ण प्रकृति, पशु - पक्षी,जीव - जंतु,तक की निःस्वार्थ भाव से सेवा होती है, जिस सेवा भाव से मन चित्त को सच्ची,खुशी,सुख,शांति की अनुभूति होती है। और आप छात्र छात्राओं को जीवन में खुशी चाहिए क्योंकि जहां खुशी है वहां एकाग्रता है, वही सफलता है। इस अवसर पर कचना धुरुवा कॉलेज के प्राचार्य डॉ डी. के.साहू, शास उच्च मा विद्यालय पिपरछेड़ी के प्रभारी प्राचार्य जोहतराम यादव,ब्रह्मकुमारी अंशु दीदी,ब्रह्मकुमारी जानकी बहन, प्रिया बहन,सरपंच श्रीमती नीरा बिसहत राम ध्रुव,उपसरपंच गोविंद राम,हेमलाल,गिरधर पटेल,रासेयो कार्यक्रम अधिकारी आर आर कुर्रे,प्राध्यापक तरुण कुमार निर्मलकर, श्रीमती एन यादव आरती साहू, कचना धुरुवा महाविद्यालय रासेयो के स्वयं सेवक, व ग्रामवासी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।