राम का आदेश हूं मैं -राम का संदेश हूं मैं-- राम निधि मैंने पाया है---- राम मय हो गया मैं- मुझ में- आप में- पूरे ब्रह्मांड में राम समाया है------- मनोज चतुर्वेदी राम वन पथ गामी
राम का आदेश हूं मैं -राम का संदेश हूं मैं-- राम निधि मैंने पाया है---- राम मय हो गया मैं- मुझ में- आप में- पूरे ब्रह्मांड में राम समाया है------- मनोज चतुर्वेदी राम वन पथ गामी
नवापारा राजिम /रायपुर......
राम एक पौराणिक चरित्र नहीं त्रेता युग से लेकर आज कलयुग में आप हमारे सबके लिए एक विराट व्यक्तित्व जिनके स्मरण मात्र और उनके बताए आदर्श पर चलने से पूरा जीवन धन्य हो जाता है, सनातन धर्म में किसी को मानने से ज्यादा उसको जानना जरूरी होता है यह कथन 5 सितंबर 2023 से छत्तीसगढ़ से श्री रामचंद्र जी के वनवास के दौरान प्रवेश करने की जगह पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल सीतामढ़ी जिला मनेद्रगड चिरमिरी से अपनी पदयात्रा करने वाले जो कि एक महीने से ऊपर पदयात्रा करके छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर जहां से रामचंद्र जी पौराणिक काल का दंड कारण्य वर्तमान में बस्तर सुकमा कोन्टा के पास वहां रामा-राम से आगे प्रस्थान किए थे छत्तीसगढ़ की अंतिम सीमा राम वन पथ गमन की, वहां तक जाएंगे सनातन धर्म ध्वज धारक मनोज चतुर्वेदी जो की एस. सी.एल. कालरी ऑफिस मनेद्रगड चिरमिरी में अपर डिविजन क्लर्क है लेकिन आज से 9 वर्ष पूर्व उन्हें सनातन धर्म की गहराई में जाने का धुन सवार हुआ और वह लगातार पूरे देश में प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा करते चले गए हिंदुओं के पवित्र चार धाम में से तीन धाम की यात्रा कर चुके 12 ज्योतिर्लिंग में से 11 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर चुके भरापूरा परिवार लेकिन राम की धुन ऐसी लगी राम को जानने निकल चले पैदल हीlll!!!
ताम झाम से दूर केवल चारों तरफ राम ही राम की लगन......... मनोज चतुर्वेदी अपने पैदलगामी सहयोगी जो बीच-बीच में बदलते रहते हैं टीकाराम पटेल जो चतुर्वेदी जी के मूल निवास स्थान ग्राम खोगापानी जिला मनेद्रगढ़- चिरमिरी के निवासी हैं उनके साथ शिवरीनारायण से गिधौरी फिर फिर चंदखुरी माता कौशल्या धाम से उनके साथ राजिम 28 सितंबर की रात्रि में पहुंचे एक दिन के विश्राम में 29 सितंबर को स्थानीय रानी धर्मशाला राजिम में विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर से बातचीत हुई जिसमें मनोज चतुर्वेदी जी ने बताया उन्होंने दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन किया और शिव के अनन्य उपासक हैं फिर उनकी रुचि राम और पौराणिक काल में उनके छत्तीसगढ़ वन गमन पथ पर पदयात्रा करने का उनके कथन अनुसार राम जी का आदेश हुआ बिना किसी तामझाम के सरकारी प्रोटोकॉल को ठुकराते हुए राम मय होकर उनके मार्ग में चल पड़े सब कुछ राम पर छोड़कर भोजन कौन कराएगा रात्रि विश्राम कहां होगा राम जी जाने कौन उनके साथ चलेगा उनसे भी उनका सरोकार नहीं जो प्रेम से आ गया चलने हो वही साथ में जाएगा और प्रभु इच्छा देखिए मार्ग में चलने में शारीरिक तकलीफ तो होती है लेकिन लोगों की भक्ति और राम के प्रति अनुराग देखकर और राम की कृपा से ना तो थकान होती ना आधि और व्याधि, राम का जहां आदेश वहीं विश्राम, वही भोजन पानी और फिर प्रस्थानl बिना स्वार्थ के सदमार्ग में चलने से आपके ऊपर ईश्वर की स्नेहिल कृपा तो बरसती है यह मनोज जी से बातचीत करने पर प्रत्यक्ष अनुभव होता है। मनोज चतुर्वेदी के अनुसार राम राज्य की कल्पना को साकार करने में छत्तीसगढ़ की धर्म परायण जनता के साथ भारत के हर रहवासी को संकल्पित होना चाहिए ताकि सारी बुराइयां दूर हो और सब सुख पूर्वक जीवन यापन कर सकें। चंपारण और नवापारा राजीव प्रवास के दौरान चतुर्वेदी जी और उनके सहयोगी पटेल जी के भोजन प्रसादी सहित धार्मिक सत्संग की तत्परता मे लीन राम जी की स्वप्रेरणा से शिव तिवारी रिटायर्ड मंडी अधिकारी गोबरा नवापारा एवं संजय मंडर रिटायर्ड फॉरेस्ट अधिकारी पारा गांव गोबरा नवापारा द्वारा किया गया एवं संजय वन्डलकर- चतुर्वेदी जी के राजिम से पदयात्रा शुरू करने से पूर्व अपने शुभचिंतकों और धर्म प्रेमियों के हवाले से मोहंदी, कुल्हाड़ी घाट ,सिहावा और बस्तर के मार्ग में भी उनकी सेवा के लिए लगातार तत्पर रहे।