प्रेरणा---विश्व पर्यावरण दिवस विशेष:--शिक्षक को पर्यावरण की इतनी चिंता कि घर वालों से कह रखा है, कंडे से जलाना मेरी चीता
प्रेरणा---विश्व पर्यावरण दिवस विशेष:--शिक्षक को पर्यावरण की इतनी चिंता कि घर वालों से कह रखा है, कंडे से जलाना मेरी चीता
आरंग
चरौदा के शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल को पर्यावरण की इतनी चिंता है कि वह अपने घर वालों से कह रखा है मरणोपरांत उनके चीता लकड़ी के बजाए गोबर के कंडे से जलाए। जिससे कि उनके दुनिया से जाने के बाद किसी पेड़ को कटना न पड़े।
वह कहते हैं हर दिन संसार में लाखों लोगों की मृत्यु होती है। जिसमें अलग-अलग धर्मों में मृत्युपरांत शवों को जलाने की परंपरा है। जिससे लाखों टन लकड़ियां लोगों के दाह संस्कार में लग जाता है। जिसके लिए लाखों पेड़ो को कटना पड़ता है। जिसका असर पर्यावरण पर भी पड़ता है।वहीं हिंदू धर्म में गाय के गोबर को बहुत ही पवित्र माना गया है।सभी धार्मिक कार्यों व अनुष्ठानों में गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है।आज भी बहुत लोगों का दाह संस्कार गोबर के कंडे से ही किया जाता है। यदि गोबर के कंडे जहां उपलब्ध हो वहां लोगों के दाह संस्कार कंडे से किया जाए तो लाखों पेड़ो को कटने से बचाया जा सकता हैं।इस तरह यदि हम पौधे लगा नहीं सकते तो बचा जरूर सकते हैं।
वह बताते हैं उन्होंने अब तक आरंग, चरौदा,लाफिन कला में सैकड़ों पौधे रोपित किए हैं जिनमें से अधिकांश पौधे काफी बड़े हो गए है। साथ ही इन पौधों का नियमित देखभाल भी कर रहे हैं।उनका कहना हैं पौधे चाहे कोई भी लगाए सुरक्षित करने की जिम्मेदारी सबकी है।
उन्होंने कोविड काल में पौधरोपण व संरक्षण को लेकर स्वव्यय से प्रेरक गीत भी बनाए हैं। साथ ही प्रेरक शाट फिल्म पेंड बर झगरा, स्वच्छ भारत मिशन व जल जागरूकता गीतों का निर्माण भी किये है।
जो सोसल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है। उनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए राज्य स्तर पर एफएम तड़का व अन्य संस्थाओं द्वारा समर्पण अवार्ड भी प्रदान किया गया है।वह विगत दो तीन वर्षों से हर वर्ष अपने जन्मदिन पर भी अनेकों पीपल, बरगद, नीम आदि सैकड़ों पौधे रोपित व संरक्षित कर लोगों को पौधरोपण व संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं।